गायत्री मंत्र को अश्लील होने का खोज अचार्य बाबा नथुन लोहार ने किया था। आचार्य बाबा नथुन लोहार का जन्म ग्राम कांडसर, जिला शाहाबाद के बिहार प्रांत में हुआ था। आचार्य बाबा नथुन लोहार (सन् 1920 से आर्यसमाज के संगती में आकर वैदिक संस्कृत भाषा के बहुत ही अच्छे आचार्य बन चुके थे। उन के जमाने में आर्य समाज का प्रचार काफी जोर पकड़ा हुआ था।)
आचार्य बाबा नथुन लोहार को गायत्री मंत्र में योनः (नारी गुप्तांग) और चोद (सम्भोग किया) का उच्चारण बार-बार खटकता था। चारों वेदों का महामंत्र गायत्री मंत्र हो और इस मंत्र में नारी आबरू शोषण का अश्लील शब्द हो इस विषय को लेकर वह वैदिक ब्राह्मणों को संदेह के नजर से निहारने लगे थे। वह वैदिक ब्राह्मणों के संस्कृत भाषा पर संदेह करने लगे, संस्कृत भाषा पर संदेह करने का नतीजा यह निकला कि आचार्य बाबा नथुन लोहार वैदिक ब्राह्मणों को अह्नान करने लगे की संस्कृत भाषा भारत की जन भाषा नहीं है, उन्होंने वैदिक ब्राह्मणों को चुनौती दे दिया की संस्कृत भाषा पालि, भाषा का नकल है जिस में बिहारी, मगधी और नेपाली भाषाओं का मिश्रण है।
आचार्य बाबा नथुन लोहार ने वेदों के महामंत्र गायत्री मंत्र पर 10 वर्षों तक शोध किया उन्होंने गायत्री मंत्र को नारी आबरू शोषण का मंत्र सिद्ध करते हुए आर्य समाज संस्था से तिलांजली दे दिया आचार्य बाबा नथुन लोहार ने आर्य समाजिओं को चुनौती दिया कि -
1. उन्हांेने आर्य समाज के संस्थापक बाल ब्रह्मचारी दयानंद सरस्वती और वैदिक ब्राह्मणों को दुराचारी विदेशी आर्य ब्राह्मण बतलाया।
2. दयानन्द सरस्वती द्वारा लिखी गई पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश को झुठार्थ अंधकार पुस्तक बताया।
3. वेद ईश्वरी ग्रंथ नहीं है यह वैदिक ब्राह्मणों द्वारा लिखा गया मानव जाती को गुलाम बनाने का षडयंत्र है।
4. शंकराचार्य, ब्राह्मण पुरोहितों और आर्य समाजियों द्वारा यज्ञों में घी जलाना, सुगंघित लकड़ी, अगर, तगर, सहशील, चंदन आदि जलाना, सुगंधी जड़ी-बुटी वनौषधी जलाना और खाद्य पदार्थ तिल, चावल, जव, गुड एवं पांच मेवा मिष्टानों को आहुती दे कर स्वाहा कर देना महापाप कर्म बताया।
5. उन्होंने अपना अन्तिम चुनौती दिया इस देश में मात्र 3.50 प्रतिशत ब्राह्मण कहलाने वाले लोग शंकराचार्य पुरोहित और पंडा बन कर मंदिरों में पूजा-पाठ यज्ञ के नाम से गायत्री मंत्रों का जाप करते हुए 97 प्रतिशत भारतीय जनता के बहन-बेटी, माताओं को योनः प्रयोद-दयात् का उच्चारण करते हुए गाली दे रहे हैं। क्या इसी का नाम हिन्दू धर्म, सनातन धर्म और वैदिक धर्म है ? यह प्रश्नवाचक चिन्ह बड़ा ही गंभीर विचारणीय विषय है।
6. राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले द्वारा चलाया गया सत्यशोधक समाज को पूरे भारत देश से खत्म करने के लिए ही दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना किया था।
सन् 1930 में आचार्य बाबा नथुन लोहार आर्य समाज संस्था को तिलांजलि देते हुए बोध गया जा कर महाबोधी वृक्ष के नीचे बौद्ध धम्म की दीक्षा स्वीकार करते हुए वह बौद्ध साधु (भिक्खू) बन गए। 12 वर्षों तक उन्होंने पदार्थवादी चारवाक्य नास्तिक धर्मों का प्रचार किया। बुद्ध पूर्णिमा की रात्रि माघ मास में 1942 में बोध गया के फाल्गु नदी के किनारे पंडों के उनका परिनिर्वाण हुआ। बाबा नथुन लोहार खजुराहों शिव दुल्हा मंदिर (मध्यप्रदेश) और लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर (उड़िसा) में जाकर आँखों देखा हाल देख कर ग्लानि करते हुए इस बात का दावा करते थे कि आर्यन देवता ब्रह्म-विष्णु-महेश, भार्गो (मनु) द्वारा भारतीय कन्यायों को देवदासी बना कर इन मंदिरों के दिवारों पर सम्भोग क्रिया का नंगी तस्वीरे बनवा कर आर्य विदेशी ब्राह्मणों ने भारत के मूल निवासियों के बहन-बेटी, माताओं की आबरू को खुलेआम निलाम किया है
गायत्री मंत्र का शाब्दिक अर्थ ॐ परमात्मा के नाम से
भुरभुव स्वः - अपने अन्दर के भवों को जला कर तत्सवीतुरणेयम - अपने तपस्या को तोड़ कर
भर्गो देवस्य - भर्गो देवता (मनु महाराज) से
धीमहि धियो - धीमे ही रहो (हल्ला गुल्ला न करो)
योनः - अपने गुप्तांगों में
प्रचोद - दयात् - हम पराए लोगों से भी चोदवाने की दया करो।